व्यापारी रोजाना लक्ष्मी की आरती और पूजा करते हैं। दिवाली पर लक्ष्मी जी की पूजा और आरती की जाती है।
धन-धान्य की देवी लक्ष्मी जी की आरती करने से परिवार में धन की कमी नहीं रहती है। व्यापारी रोजाना लक्ष्मी की आरती और पूजा करते हैं। दिवाली पर लक्ष्मी जी की पूजा और आरती की जाती है।
यहां पढ़ें लक्ष्मी जी की आरती
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता। मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता। मैया सुख सम्पत्ति दाता॥
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता। मैया तुम ही शुभदाता॥
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता। मैया सब सद्गुण आता॥
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता। मैया वस्त्र न कोई पाता॥
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता। मैया क्षीरोदधि-जाता॥
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता। मैया जो कोई जन गाता॥
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता।।
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