डॉलर के मुकाबले रुपये में भारी गिरावट, 87.28 के ऑल-टाइम लो पर पहुंचा

Vishal Singh | बड़ी खबर | 23

आने वाले 6 से 10 महीनों में रुपया 90 से 92 के स्तर तक लुढ़क सकता है।
मुख्य कारण विदेशी निवेशकों की बिकवाली और वैश्विक अनिश्चितता 
रुपये में गिरावट को रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक कर सकता है डॉलर की बिक्री 

Rupee falls sharply against dollar, reaches all-time low of 87.28 | भारतीय रुपया सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 54 पैसे की भारी गिरावट के साथ अपने अब तक के सबसे निचले स्तर 87.28 पर पहुंच गया। यह पहली बार है जब रुपया इस स्तर तक गिरा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले 6 से 10 महीनों में रुपया 90 से 92 के स्तर तक लुढ़क सकता है।

रुपये में गिरावट के कारण
वैश्विक अनिश्चितता: अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और विदेशी निवेशकों की बिकवाली रुपये पर दबाव बना रही है।
अमेरिकी डॉलर की मजबूती: डॉलर इंडेक्स में बढ़ोतरी के कारण दुनियाभर की मुद्राएं कमजोर हो रही हैं, जिसमें रुपया भी शामिल है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर: देश में महंगाई दर और चालू खाता घाटा बढ़ने से निवेशकों की चिंता बढ़ी है, जिससे रुपया कमजोर हुआ है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अगर वैश्विक परिस्थितियां नहीं सुधरीं और विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रही, तो रुपये में और गिरावट हो सकती है। HSBC के वरिष्ठ अर्थशास्त्री अरविंद चौहान ने कहा, "रुपये की कमजोरी का मुख्य कारण विदेशी निवेशकों की बिकवाली और वैश्विक अनिश्चितता है। अगर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो रुपया जल्द ही 90 के स्तर तक पहुंच सकता है।"

रुपये में गिरावट का आम जनता पर असर
महंगाई बढ़ेगी: तेल और अन्य आयातित वस्तुएं महंगी हो सकती हैं।
विदेश यात्रा और पढ़ाई महंगी होगी: विदेश में पढ़ाई करने वाले छात्रों और यात्रियों को ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।
कंपनियों की लागत बढ़ेगी: कच्चे माल के आयात पर निर्भर कंपनियों की लागत बढ़ेगी, जिसका असर उनके उत्पादों पर पड़ेगा।

RBI की रणनीति क्या होगी?
भारतीय रिजर्व बैंक रुपये में गिरावट को रोकने के लिए डॉलर की बिक्री कर सकता है और मौद्रिक नीति में बदलाव कर सकता है। हालांकि, अभी तक RBI ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। आने वाले दिनों में रुपये की चाल पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी। यदि वैश्विक परिस्थितियों में सुधार नहीं हुआ, तो रुपये की गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए और बड़ी चुनौती बन सकती है।