देश के ग्रामीण सशक्तिकरण और शासन यात्रा में एक मील का पत्थर साबित होगा
यह योजना संपत्तियों के मुद्रीकरण को सुगम बनाने में भी मदद करेगी
इस कार्ड के माध्यम से गांव के लोग बैंक ऋण पा सकते हैं
योजना से संपत्ति से संबंधित विवाद कम होंगे
ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्तियों और संपत्ति कर के बेहतर मूल्यांकन की सुविधा मिलेगी
स्वामित्व योजना 24 अप्रैल 2020 (राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर) को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू की गई थी। जिसका उद्देश्य है की ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्तियों और संपत्ति कर के बेहतर मूल्यांकन प्रदान करना। आज शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संपत्ति मालिकों को 65 लाख संपत्ति कार्ड बांटे। आपको बता दें की इस दौरान 10 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के 50000 से अधिक गांवों में संपत्ति मालिकों को संपत्ति कार्ड वितरित किए। अब तक 1.53 लाख से अधिक गांवों के लिए लगभग 2.25 करोड़ संपत्ति कार्ड तैयार किए जा चुके हैं।
स्वामित्व योजना का क्या है उद्देश्य और लाभ?
अपनी दूरगामी सोच के लिए प्रसिद्द मोदी सरकार ने संपत्ति विवाद को दूर करना है। इस योजना की शुरुआत "ड्रोन तकनीक" से सर्वेक्षण के लिए की गई। जिससे गांवों में बसे हुए क्षेत्रों में घरों के मालिक परिवारों को 'अधिकारों का रिकॉर्ड' प्रदान करके ग्रामीण भारत की आर्थिक प्रगति का कार्य किया जा सके। बता दें की इससे पहले सरकार सटीक संपत्ति स्वामित्व डेटा प्रदान कर रही है, जिसमें स्पष्ट स्वामित्व रिकॉर्ड केवल सही व्यक्ति को मिले ताकि भूमि विवाद कम हो।
यदि इस योजना से लाभ की बात कारण तो अन्य लाभ भी गॉव के लोगों को मिलेंगे जैसे :
ग्रामीण सशक्तिकरण और शासन यात्रा में लाभ और संपत्तियों के मुद्रीकरण को सुगम बनाने में भी मदद मिलेगी। इस कार्ड के माध्यम से गांव के लोग बैंक ऋण मिल सकेगा और संपत्ति से संबंधित विवाद भी नहीं होंगे। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्तियों और संपत्ति कर के बेहतर मूल्यांकन की सुविधा प्रदान होगी।
एक आंकड़ें के अनुसार, 3 लाख 17 हजार से अधिक गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हो चुका है, जो की गांवों के 92 फीसद को कवर करता है। अब तक 1 लाख 53 हजार से अधिक गांवों के लिए लगभग 2 करोड़ 25 लाख संपत्ति कार्ड तैयार किए जा चुके हैं। रिकॉर्ड के अनुसार, इस योजना पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, त्रिपुरा, गोवा, उत्तराखंड और हरियाणा में पूरी तरह से लागू हो चुकी है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों और कई केंद्र शासित प्रदेशों में भी ड्रोन सर्वेक्षण पूरे हो चुके हैं।
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