स्टालिन का कहना है कि NEP के जरिए हिंदी थोपी जा रही है। बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि DMK मुद्दे को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने हाल ही में हिंदी और संस्कृत भाषा नीति पर कड़े आरोप लगाते हुए कहा है कि इस नीति के चलते देश की 25 क्षेत्रीय भाषाएँ, जिनमें भोजपुरी, मैथिली, अवधी, कुमाऊंनी प्रमुख हैं, लगभग समाप्त हो गई हैं। स्टालिन का यह बयान भाषाई विविधता और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के मुद्दे पर चर्चा का नया केंद्र बन गया है।
हिंदी मुखौटा है, संस्कृत चेहरा है: स्टालिन
सीएम स्टालिन ने अपने बयान में कहा कि हिंदी-संस्कृत की प्रधानता को बढ़ावा देने वाली नीतियों ने स्थानीय भाषाओं और उनके सांस्कृतिक मूल्यों को नष्ट कर दिया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये भाषाएँ भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना और धीरे-धीरे खत्म कर देना एक चिंताजनक कदम है। स्टालिन का कहना है कि NEP के जरिए हिंदी थोपी जा रही है। बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि DMK मुद्दे को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ
स्टालिन के आरोप के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों और भाषाई विशेषज्ञों ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दर्ज कराई है। तमिलनाडु की सरकार और अन्य विरोधी दल इस बयान को क्षेत्रीय भाषाओं के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी के रूप में देख रहे हैं। तमिलनाडु सीएम स्टालिन के बयान ने हिंदी-संस्कृत की नीतियों के प्रभाव पर नए प्रश्न खड़े कर दिए हैं |
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