मुख्यमंत्री योगी ने किया मुआवजे का एलान, मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख तथा घायलों को 50-50 हजार की आर्थिक सहायता देने के दिए निर्देश
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में मंगलवार को बड़ी घटना घटित हुई। भोले बाबा के सत्संग में अचानक से भगदड़ मच गई। जिससे वहां सैकड़ों की संख्या में पहुंचे लोग घायल हो गए। अब तक प्राप्त सूचना के आधार पर 25 शव एटा जिले में पोस्टमार्टम गृह में पहुंचे हैं। जबकि मृतकों की संख्या 130 के पार पहुंच चुकी है।प्राप्त जानकारी के अनुसार 100 से अधिक शव हाथरस पोस्टमोर्टम पर भेजे जा गए हैं। मृतकों में 25 से अधिक लोग एटा के बताए जा रहे हैं। हादसे के बाद फिरोजाबाद से स्वास्थ्य विभाग द्वारा दो डाक्टरों की टीम, पांच एंबुलेंस और एक शव वाहन को मौके पर भेजा गया है।मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख तथा घायलों को 50-50 हजार की आर्थिक सहायता देने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री स्वयं पल-पल के घटनाक्रम पर सीधी नजर रख रहे हैं
पांच बार अलीगढ़ में सत्संग कर चुके हैं साकार बाबा
साकार बाबा का सत्संग अलीगढ़ में भी चार से पांच बार हो चुके हैं। तालानगरी स्थित खाली प्लाट में बाबा सत्संग में इतनी भीड़ हो जाती है कि पैर रखने को जगह नहीं होती है। कई दिन पहले उनके भक्त यहां पर आकर मैदान की सफाई शुरू कर देते हैं। बाबा की सेवा बताकर दिन रात महिला और पुरुष भक्त आयोजन में जुट जाते हैं। प्रवचन स्थल तक बाबा के लिए अलग से एक रास्ता भी बनाया जाता था। इस मार्ग पर बाबा का काफिला ही निकलता था। इसके अलावा किसी को जाने की अनुमति नहीं थी। उनका कार्यक्रम जब समाप्त हो जाता तब रामघाट रोड ताला नगरी से लेकर क्वार्सी चौराहे तक जाम लग जाता था।
हाथरस हादसे के पीछे व्यवस्थापकों की गलती
दोपहर लगभग 12.30 बजे सत्संग समाप्त होने के बाद भीड़ को रोक दिया गया था और भोले बाबा को पीछे के दरवाजे से निकाला जा रहा था, इससे अंदर दबाव बढ़ गया। वहां एक गहरा गड्ढा था, जिसमें कुछ लोग गिरे तो भगदड़ मच गई। लोग एक-दूसरे को रौंदकर निकलते रहे। गड्ढे में गिरकर कई मौत हो गईं।
हेलिकॉप्टर से था बाबा पर फूल बरसाने का प्लान, साकार हरि के पास है अपनी फौज; खुद रह चुका है दारोगा
बाबा के बारे में कुछ लोग कहते हैं कि ये यूपी पुलिस में दारोगा हुआ करते थे। कुछ इसे आईबी से जुड़ा भी बताते हैं। इसीलिए बताया जाता है कि बाबा पुलिस के तौर-तरीकों से परिचत है। वर्दी धारी स्वयंसेकों की लंबी-चौड़ी फौज खड़ी करने में यह काफी मददगार साबित हुआ। सबसे पहले तो यह जान लें कि साकार हरि के कार्यक्रमों में इनके शिष्यों की भारी भीड़ जुटती है। कई बार तो इनकी संख्या दो से तीन लाख तक पहुंच जाती है। बाबा साकार हरि में अगाध श्रद्धा रखने वाले इनके शिष्य बेहद अनुशासित होते हैं। बाबा अगर तपती दोपहरी या भीषण बारिश में भी खड़े रहने को कह दे तो मजाल क्या कि कोई टस से मस हो जाए। इन शिष्यों में बड़ी संख्या दलित वर्ग के लोगों की है। जुलाई 2022 में इनके शिष्यों ने जोर-शोर से प्रचार किया कि सत्संग में आए श्रद्धालुओं पर हेलिकॉप्टर से फूल बरसाए जाएंगे। अति आत्मविश्वास से भरे बाबा के शिष्यों ने प्रशासन से इसकी अनुमति तक नहीं ली थी। कार्यक्रम स्थल पर हेलिकॉप्टर फूल भरकर तैयार खडा था। लेकिन प्रशासनिक अनुमति न मिल पाने की वजह से हेलिकॉप्टर उड़ नहीं पाया। बताया जाता है कि बाबा इस पर आयोजन से जुड़े शिष्यों पर खासे नाराज भी हुए थे।
पुलिस से जुड़ा रहा बाबा सूट-बूट में रहता है
बाबा के बारे में कुछ लोग कहते हैं कि ये यूपी पुलिस में दारोगा हुआ करते थे। कुछ इसे आईबी से जुड़ा भी बताते हैं। इसीलिए बताया जाता है कि बाबा पुलिस के तौर-तरीकों से परिचत है। वर्दी धारी स्वयंसेकों की लंबी-चौड़ी फौज खड़ी करने में यह काफी मददगार साबित हुआ। बाबा आम साधु-संतों की तरह गेरुआ वस्त्र नहीं पहनता। बहुधा वह महंगे गॉगल, सफेद पैंटशर्ट पहनकर किसी फिल्मी हीरो की मानिंद नजर आती है। अपने प्रवचनों में बाबा पाखंड का विरोध भी करता है। चूंकि बाबा के शिष्यों में बड़ी संख्या में समाज के हाशिए वाले, गरीब, दलित, दबे-कुचले लोग शामिल हैं। उन्हें बाबा का पहरावा और यह रूप बड़ा लुभाता है।
महिलाओं में बाबा का है खासा क्रेज, मानना है बाबा कुछ भी कर सकते हैं
महिला भक्तों में बाबा का खासा क्रेज दिखाई देता है। कानपुर से आई बाबा की एक प्रमुख शिष्या से मेरी बात हुई तो उनका कहना था कि बाबा साक्षात हरि अर्थात विष्णु के अवतार हैं। बाबा के मंच के ठीक सामने उनकी ड्यूटी लगाई गई थी। गदगद महिला भक्त इससे फूली नहीं समा रही थीं। उन्होंने बताया कि बाबा का चेहरा दमकता रहता है। उस पर अलौकिक तेज है। उनके साथ आए कई शिष्यों का मानना था कि बाबा के पास दैविक शक्तियां हैं। वह कुछ भी कर सकते हैं।
बाबा की अपनी फौज संभालती है ट्रैफिक का मोर्चा
साकार हरि की अपनी फौज है। हल्के गुलाबी रंग के पैंट-शर्ट, पुलिस बेल्ट, हाथ में लाठी और सीटी लेकर हजारों की संख्या में इनके स्वयंसेवक कार्यक्रम स्थल और सड़कों पर चप्पे-चप्पे पर तैनात रहते हैं। एक नजर में देखने पर यह होमगार्ड जैसा कोई अनुशासित बल दिखाई देता है। बड़ी संख्या में महिला स्वयंसेवक भी तैनात रहती हैं। इनकी भी वर्दी होती है। बाबा की यह लंबी-चौड़ी फौज ट्रैफिक व्यवस्था से लेकर, पानी और दूसरे इंतजाम देखती है। कार्यक्रम स्थलों पर बाबा की फौज का यह गणवेश आप कई काउंटरों से बिकते देख सकते हैं। कहा जाता है इसे खरीदने की अनुमति उन्हीं लोगों की होती है जिसे बाबा चाहते हैं। कई बार यह स्वयंसेवक आम आदमी को कार्यक्रम स्थल के पास से गुजरने से रोक भी देते हैं। प्रशासन भी इन स्वयंसेवकों के भरोसे शायद उतना ध्यान नहीं देता जितना उसे देना चाहिए। शायद प्रशासन की उपेक्षा और बाबा के स्वयंसेवकों पर जरूरत से ज्यादा भरोसे ने हाथरस जैसे बड़े हादसे को जन्म दिया है। हादसे से हाथरस से लेकर लखनऊ और दिल्ली तक हड़कंप मचा हुआ है।
साकार हरि: 30 बीघे में भोले बाबा का आश्रम, तो पांच में बना है अनुयायी विश्राम गृह; खुद की है आर्मी
बहादुरनगर में 30 बीघे में भोले बाबा का आश्रम तो पांच बीघे में अनुयायी विश्राम गृह बना है। बाबा के पास खुद के सेवादारों की आर्मी भी है। बाबा का आश्रम तीस बीघा जमीन में बना हुआ है। जिले में कोई दूसरा ऐसा पूर्ण निर्माण का आश्रम नहीं है। आश्रम पर अनुयायियों के रुकने के लिए 5 बीघा जमीन में विश्राम घर बना हुआ है। प्रतिदिन ही बड़ी संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं और पर्वों के दिन में तो लोगों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है। सत्संग हो या न हो कोई कार्यक्रम हो या न हो लेकिन भक्तों पर इसका कोई असर नहीं। वे आते हैं और माथ टेकते हैं।आश्रम और आश्रम के आस पास माहौल भक्ति का रहता है। वैसे तो तमाम गांव के लोग घर के बाहर चापराई पर ही अस्थायी रूप से खाने पीने के सामान की दुकान लगा लेते हैं, लेकिन मंगलवार को पानी व खाद्य पदार्थ की दुकानें गांव के लोग सजाते हैं। जिससे बाबा के आश्रम में आने वाले अनुयायियों के द्वारा की जाने वाली खरीद से ग्रामीणों की आमदनी हो जाती है।
भोले बाबा के सेवादारों की है आर्मी
भोले बाबा के सत्संग का आयोजन जब भी होता है तो उनके सेवादारों की आर्मी सत्संग की सुरक्षा व्यवस्था, परिवहन, पार्किंग, पानी आदि की व्यवस्था सुनिश्चित करती है। सेवादारों की आर्मी में महिलाएं भी शामिल होती हैं। जहां भी कथा का आयोजन होता है वहां मैदान की सफाई का कार्य महिला सेवादारों के द्वारा किया जाता है। वहीं पुरुष हाथ में बैंत लेकर और सीटी बजाते हुए परिवहन और सुरक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित करते हैं।
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